हवन विधि
by TransalationApps
complete vidhi and mantras on how to perform a hawan and yagyas
App Name | हवन विधि |
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Developer | TransalationApps |
Category | House & Home |
Download Size | 9 MB |
Latest Version | 2.2 |
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The App empowers everyone, from novices to experts, to perform the ancient Vedic rituals of Havan and Sandhya. Users choose the occasion for the Havan its duration and then as the audio plays can swipe between Mantra and meaning.
पूजा-पाठ तो हम सभी करते हैं, लेकिन क्या हमें इसका पूरा फल प्राप्त होता है। क्या हम अनजाने में पूजा पाठ में कुछ गलती तो नहीं कर रहे। जिस प्रकार हर काम के करने की एक विधि होती है एक तरीका होता है उसी प्रकार पूजा की भी विधियां होती हैं हर देवी-देवता, तीज-त्यौहार आदि को मनाने के लिए, अपने ईष्ट-देवता को मनाने की, खुश करने की अलग-अलग विधि हैं, इन्हें ही पूजा-विधि कहा जाता है।.
प्राचीन काल में कुण्ड चौकोर खोदे जाते थे, उनकी लम्बाई, चौड़ाई समान होती थी। यह इसलिए था कि उन दिनों भरपूर समिधाएँ प्रयुक्त होती थीं, घी और सामग्री भी बहुत-बहुत होमी जाती थी, फलस्वरूप अग्नि की प्रचण्डता भी अधिक रहती थी। उसे नियंत्रण में रखने के लिए भूमि के भीतर अधिक जगह रहना आवश्यक था। उस स्थिति में चौकोर कुण्ड ही उपयुक्त थे। पर आज समिधा, घी, सामग्री सभी में अत्यधिक मँहगाई के कारण किफायत करनी पड़ती है। ऐसी दशा में चौकोर कुण्डों में थोड़ी ही अग्नि जल पाती है और वह ऊपर अच्छी तरह दिखाई भी नहीं पड़ती। ऊपर तक भर कर भी वे नहीं आते तो कुरूप लगते हैं। .
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पूजा-पाठ तो हम सभी करते हैं, लेकिन क्या हमें इसका पूरा फल प्राप्त होता है। क्या हम अनजाने में पूजा पाठ में कुछ गलती तो नहीं कर रहे। जिस प्रकार हर काम के करने की एक विधि होती है एक तरीका होता है उसी प्रकार पूजा की भी विधियां होती हैं हर देवी-देवता, तीज-त्यौहार आदि को मनाने के लिए, अपने ईष्ट-देवता को मनाने की, खुश करने की अलग-अलग विधि हैं, इन्हें ही पूजा-विधि कहा जाता है।.
प्राचीन काल में कुण्ड चौकोर खोदे जाते थे, उनकी लम्बाई, चौड़ाई समान होती थी। यह इसलिए था कि उन दिनों भरपूर समिधाएँ प्रयुक्त होती थीं, घी और सामग्री भी बहुत-बहुत होमी जाती थी, फलस्वरूप अग्नि की प्रचण्डता भी अधिक रहती थी। उसे नियंत्रण में रखने के लिए भूमि के भीतर अधिक जगह रहना आवश्यक था। उस स्थिति में चौकोर कुण्ड ही उपयुक्त थे। पर आज समिधा, घी, सामग्री सभी में अत्यधिक मँहगाई के कारण किफायत करनी पड़ती है। ऐसी दशा में चौकोर कुण्डों में थोड़ी ही अग्नि जल पाती है और वह ऊपर अच्छी तरह दिखाई भी नहीं पड़ती। ऊपर तक भर कर भी वे नहीं आते तो कुरूप लगते हैं। .
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